आम आदमी सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, आम आदमी पार्टी का कांग्रेस के साथ गठबंधन आखिरी वक्त पर रुक गया है. इस प्रतिबंध का असर सिर्फ दिल्ली ही नहीं बल्कि गुजरात, गोवा, असम और हरियाणा जैसे राज्यों पर भी है। इसमें कुछ जगहों पर उम्मीदवारों के नाम वापस लेने को लेकर भी मंथन चल रहा है.
लोकसभा चुनाव के लिए इंडिया गठबंधन का सीट शेयरिंग का मसला अभी तक सुलझ नहीं सका है. राजधानी दिल्ली में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस गठबंधन का मामला एक बार फिर तूल पकड़ गया है. इसके साथ ही गुजरात की बारूच सीट को लेकर भी असमंजस की स्थिति है.
दिल्ली में समस्या कहां है?
यह बात सामने आई है कि कांग्रेस के खाते में तीन सीटें आएंगी, लेकिन इसमें कांग्रेस नेता खास तौर पर उत्तर-पश्चिम के लिए आरक्षित सीट चाहते हैं. इसके अलावा चांदनी चौक, पूर्वोत्तर और पूर्वी दिल्ली में कांग्रेस आम आदमी पार्टी से बातचीत कर रही है. 2019 के लोकसभा चुनाव में इन तीनों सीटों पर पार्टी को सबसे ज्यादा वोट प्रतिशत मिला था. इन निर्वाचन क्षेत्रों में जेपी अग्रवाल, शीला दीक्षित और अरविंदर लवली ने चुनाव लड़ा था
भरूच की सीट पर असमंजस क्यों?
दूसरी बड़ी समस्या है गुजरात की बारूच सीट. कांग्रेस का एक बड़ा वर्ग मानता है कि अहमद पटेल की सीट बारूच को आम आदमी पार्टी को देना बड़ी गलती होगी. आदिवासी बाहुल्य इलाके में आम आदमी अपनी आदिवासी विधायक चैतर वसावा के खिलाफ चुनाव लड़ना चाहता है. जनवरी में अरविंद केजरीवाल ने इसकी घोषणा भी की थी
चैतर वसावा अभी जेल में हैं
क़बीले के अच्छे नेता माने जाने वाले चैतर फिलहाल एक मामले में जेल में हैं. सौराष्ट्र में कांग्रेस नहीं चाहती थी कि बारूच सीट आम आदमी पार्टी को दी जाए क्योंकि उसे डर था कि आदिवासी पार्टी से अलग हो जाएंगे। इन दोनों मुद्दों पर आम आदमी और कांग्रेस के बीच आज भी बहस जारी है. सूत्रों के मुताबिक एक दो दिन में समस्या का समाधान हो जायेगा.