आईआईटी बाबा अभय सिंह ने क्या महाकुंभ छोड़ दिया?

आईआईटी बाबा के नाम से मशहूर हुए अभय सिंह महाकुंभ छोड़कर कहीं नहीं गए हैं। वह प्रयागराज में संगम तट पर ही मौजूद हैं। बातचीत में उन्होंने बताया कि किस तरह महाकुंभ से उनके गायब होने की अफवाह फैलाई गई।

आईआईटी बाबा के नाम से मशहूर अभय सिंह सिर्फ महाकुंभ में ही मौजूद हैं। वह मेला छोड़कर कहीं नहीं गए है। शुक्रवार देर रात बातचीत में उन्होंने उन खबरों का खंडन किया, जिनमें कहा गया था कि अभय सिंह महाकुंभ मेले के दौरान अचानक जूना अखाड़े के 16 माड़ी आश्रम को छोड़कर किसी अज्ञात स्थान पर चले गए हैं। अभय सिंह ने आश्रम के साधुओं पर उनके बारे में अफवाह फैलाने का आरोप लगाया। दावा किया जा रहा है कि अभय के माता-पिता उसे ढूंढते हुए कल रात जूना अखाड़े के 16वीं मढ़ी आश्रम पहुंचे थे। लेकिन तब तक अभय आश्रम छोड़ चुका था। हालांकि, अभी यह पुष्टि नहीं हुई है कि माता-पिता आश्रम पहुंच गए हैं या नहीं।

जूना अखाड़े के 16वीं मढ़ी आश्रम में मौजूद अन्य साधुओं के अनुसार अभय सिंह लगातार साक्षात्कार दे रहे थे, इससे उनके मन पर असर पड़ रहा था और उन्होंने मीडिया से कुछ ऐसी बातें भी कहीं जो उचित नहीं थीं। उन्हें जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरि के पास भी ले जाया गया। अभय सिंह की मानसिक स्थिति को देखते हुए जूना अखाड़े ने फैसला किया कि उन्हें आश्रम छोड़ देना चाहिए और इसके बाद अभय देर रात आश्रम से चले गए।

किसने कहा आश्रम से चले जाने को

आईआईटी वाले ने बातचीत में कहा, ‘अरे, उन्होंने मेरे बारे में गलत खबर फैलाई। उन्होंने (माडी आश्रम के संचालकों ने) मुझे रात में ही वहां से चले जाने को कहा था। अब उन्हें लगता है कि यह प्रसिद्ध हो गया है। अगर उसे कुछ पता चल गया तो वह हमारे खिलाफ हो जाएगा, इसलिए उसने कुछ ऐसा भी कहा कि मैं वहां से गुप्त साधना में चला गया हूं। वे लोग बकवास कर रहे हैं।’

आईआईटी बाबा वापस मैदान में! बाबा ने कहा कि मेरी मानसिक स्थिति के बारे में किसी को कैसे पता चला? कोई भी विज्ञान ऐसी बातें पता नहीं लगा सकता। मेरे गुरु के बारे में उन्होंने कहा कि मेरा कोई गुरु नहीं है। जिस किसी से कुछ सीखा गया हो वह गुरु है।

अभय सिंह ने क्या कहा

अपनी मानसिक स्थिति को लेकर उठ रहे सवालों के बारे में अभय सिंह ने कहा, ‘मैं मन को समझा रहा हूं कि मन को क्या होता है। आप मेरी मानसिक स्थिति का विश्लेषण कर रहे हैं। बहुत अच्छा। वह कौन सा मनोवैज्ञानिक है, जो मुझसे अधिक जानता है? आप मुझे क्यों टैग कर रहे हैं? मुझे प्रमाण पत्र देने के लिए उसे मुझसे अधिक जानकारी होनी चाहिए। अभय सिंह ने बातचीत में यह भी कहा कि उनका कोई गुरु नहीं है।

जूना अखाड़े के संत सोमेश्वर पुरी ने दावा किया था कि वह आईआईटी बाबा उर्फ ​​अभय सिंह के गुरु हैं। सोमेश्वर पुरी ने आजतक को बताया कि वाराणसी में घूमते समय उनकी मुलाकात अभय से हुई, फिर वे उन्हें अपने आश्रम ले गए। इस बारे में पूछे जाने पर अभय सिंह ने कहा, ‘किसने कहा कि वह मेरे गुरु हैं?’ यही तो हो रहा है। मैंने उनसे पहले ही कह दिया था कि मैं जो भी सीखता हूं, उसे अपने गुरु से ही बनाता हूं। अब जब मैं प्रसिद्ध हो गया हूं तो उन्होंने खुद को मेरा गुरु बना लिया है। लेकिन मैंने उन्हें पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि हमारे बीच कोई गुरु-शिष्य का रिश्ता नहीं है।

कौन हैं अभय सिंह, कैसे बने आईआईटीयन से संत?

अभय सिंह का जन्म हरियाणा के झज्जर जिले के सासरौली गांव में हुआ था। उनका जन्म ग्रेवाल गोत्र के एक जाट परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम करण सिंह है, जो पेशे से वकील हैं। वह झज्जर बार एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। अभय ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा झज्जर से की। वह पढ़ाई में बहुत होनहार था।

परिवार वाले उसे आईआईटी कोटा में कोचिंग के लिए भेजना चाहते थे, लेकिन अभय ने दिल्ली में कोचिंग ली। उन्होंने आईआईटी प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण की और एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में बी.टेक करने के लिए आईआईटी बॉम्बे पहुंचे। इसके बाद उन्होंने डिजाइनिंग में मास्टर डिग्री पूरी की।

अभय की छोटी बहन कनाडा में रहती है। पढ़ाई पूरी करने के बाद वे कनाडा चले गए और वहां कुछ समय तक एक हवाई जहाज बनाने वाली कंपनी में 3 लाख रुपए प्रति माह वेतन पर काम किया। इसके बाद कोरोना महामारी आ गई।

लॉकडाउन

कनाडा में लॉकडाउन हो गया, जिसके कारण अभय वहीं फंस गया। उनके परिवार के अनुसार अभय की पहले से ही आध्यात्म में रुचि थी। लॉकडाउन के दौरान उनका रुझान इस ओर और बढ़ गया। कनाडा में लॉकडाउन हटने के बाद वह भारत लौट आए और फोटोग्राफी करने लगे। अभय सिंह खानाबदोश स्वभाव के थे। वह केरल, उज्जैन, हरिद्वार गये।

उन्होंने घर पर भी ध्यान करना शुरू कर दिया। उनकी आध्यात्मिक और दार्शनिक बातें घर के सभी लोगों को प्रभावित करती थीं। अभय सिंह ने मीडिया को दिए साक्षात्कार में बताया कि उनके परिवार के सदस्य उन पर अपनी इच्छाएं थोपने की कोशिश करते थे। अध्यात्म की ओर उनका झुकाव देखकर परिवार वालों को समझ आ गया कि वह संत बनने की राह पर हैं। परिवार के सदस्यों ने उसकी मानसिक स्थिति पर भी सवाल उठाए।

अभय के मुताबिक, परिजनों ने कई बार पुलिस को भी फोन किया। फिर एक दिन उसने उनसे घर छोड़ने को कहा। वह उसी दिन घर से चला गया। करीब 6 महीने पहले परिजनों को चिंता हुई और जब परिजनों ने अभय से बात करनी चाही तो उसने अपने माता-पिता और बहन का नंबर ब्लॉक कर दिया।

अभय सिंह के पिता ने उनकी घर वापसी के बारे में क्या कहा?

अभय सिंह के परिवार को उनके बारे में तब पता चला जब महाकुंभ के दौरान उनका इंटरव्यू इंटरनेट पर वायरल हुआ। पिता करण सिंह ने मीडिया से बातचीत में कहा- वह बचपन से ही बहुत कम बोलता था। लेकिन हमें कभी यह आभास नहीं हुआ कि वह अध्यात्म के मार्ग पर चलेंगे। क्या वह अपने बेटे से कहेंगे कि घर लौट आओ? इस सवाल पर कर्ण सिंह बोले- मैं उनसे कहूंगा, लेकिन वह परेशानी में पड़ जाएंगे।

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